पालक की खेती जैविक तरीके से कैसे करें | जिससे अच्छा आमदनी हो

परिचय –

पत्तियों वाली सब्जी में पालक एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण सब्जी है। इसकी खेती वर्षभर की जा सकती है। पालक में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। भारत में पालक का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। इसे हिंदी में पालक अंग्रेजी में स्पिनेच Spinach के नाम से जाना जाता है। पालक का वैज्ञानिक नाम स्पिनासिया ओलेरेसिया है।

पालक खाने के फायदे –

पालक का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है तथा वजन घटाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप कैलोरी की कम मात्रा का सेवन करें। पालक एक कम कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ है जिसे आहार में शामिल कर आप अपने बढ़ते वजन को नियंत्रित करने का काम कर सकते हैं । कैंसर में भी पालक बीटा कैरोटीन और विटामिन सी से समृद्ध होता है और ये दोनों पोषक तत्व विकसित हो रही कैंसर कोशिकाओं से सुरक्षा प्रदान कर सकते है। एनीमिया के खतरे को कम करने में पाचन स्वास्थ्य हार्ट अटैक के खतरे में और मस्तिष्क स्वास्थ्य और तंत्रिका तंत्र हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए खाने से लाभ मिलता है।

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Spinach farming organically

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भूमि एवं जलवायु-

पालक ठण्डे मौसम की फसल है। सिंचित भूमि में यह अधिक ठण्ड व तापमान को सहन कर सकता है। पालक की फसल से अधिक उपज लेने के लिए जीवांष युक्त बलुई दोमट तथा दोमट भूमि जिसमें जल.निकास की व्यवस्था हो, उपयुक्त रहती है। पालक की खेती हल्की क्षारीय भूमि में भी की जा सकती है लेकिन अधिक उपज एवं अच्छी गुणवत्ता के लिए पालक की खेती के लिए सामान्यतः पी.एच. मान 7 वाली भूमि उपयुक्त है।

उन्नतशील किस्म –

पालक की उन्नतशील किस्मों में ऑल ग्रीन, पूसा पालक, पूसा हरित, पूसा ज्योति, जाबनेर ग्रीन, हिसार, सलेक्शन.23 एवं पूसा भारती प्रमुख हैं।

बीज की मात्रा एवं बुआई का समय –

एक हेक्टे क्षेत्र में जाड़ों की फसल के लिए 10-15 कि.ग्रा. तथा गर्मियों की फसल के लिए 25-30 कि.ग्रा.बीज बिजाई के लिए पर्याप्त होता है। जाड़ां की फसल की बुआई सितम्बर-अक्टबूर तथा गर्मियों की फसल की बुआई मध्य फरवरी माह के तीसरे सप्ताह से मार्च के चौथे सप्ताह तक कर सकते हैं। बीज की बुआई लाईन 3-4 सेमी. गहराई पर तथा लाईन से लाईन 20 सेमी. की दूरी पर कर सकते हैं। बीज को रात में भिगोने के पश्चात् बुआई करने से अधिक एवं अच्छा अंकुरण होता हैं।

खाद एवं जैविक उवर्रक –

पालक की अच्छी उपज प्राप्त करने हेतु जमीन का उपजाऊ होना जरूरी है जिसके लिए 75-80 क्विंटल सडी़ गोबर की खाद या 20-25 कुन्टल केंचुआ खाद को खेत में तैयारी के समय मिट्टी में मिला दें। इसके अतिरिक्त बुआई करने से पहले जैव उर्वरक, अजेटोबैक्टर/एजोस्पोरिलम/पी.एस.बी. का 3-5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टे. को सड़ी गोबर की खाद या केंचुए की खाद में मिलाकर बुआई पूर्व प्रयोग करें। तत्पश्चात् लाईन में पालक बीज की बुआई करें। फसल में 10-12 दिन के अन्तर पर प्रति हे. 100 ली. गौ.मूत्र सिंचाई के साथ प्रयोग करें। 5 प्रतिशत पंचगव्य या वर्मीवाश का 2.3 बार छिड़काव करने से पालक की अच्छी बढ़वार होती है।

निकाई-गुडाई एवं खरपतवार प्रबंधन –

पालक की अच्छी उपज हेतु प्रारंभिक अवस्था तथा प्रत्येक कटाई के बाद खरपतवार निकालते रहें।

रोग प्रबंधन –

आमतौर पर पालक की फसल पर रोग का प्रकोप नहीं होता है।

कीट प्रबंधन –

कभी-कभी फसल में पत्ती खाने वाली सुण्डियों का प्रकोप देखने में आता है। सुण्डियों की रोकथाम के लिए नीमोली सत अथवा खट्ठी लस्सी/मटठा.छाछ आदि का घोल कटाई के बाद फसल पर छिड़काव करें।

कटाई. तीन-चार सप्ताह बाद पहली कटाई कर सकते हैं। उसके बाद 20-25 दिन के अन्तर पर 4-6 कटाई की जा सकती है। गर्मी की फसल की बार-बार कटाई न करके केवल एक बार कटाई करनी चाहिए।

बीज उत्पादन –

पालक के आनुवांशिक शुद्ध बीज उत्पादन लेने के लिए 2 किस्मों के बीज 1000 मीटर पृथककरण दूरी होनी चाहिए। बीज उत्पादन हेतु पालक की दो लाइनों के बीच में 50 सेंमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंमी. रखनी चाहिए। प्रारम्भ में 2-3 कटाई करने के बाद फसल को बीज उत्पादन के लिए छोड़ देना चाहिए। पालक में डण्ठल निकलने से पहले अवांछित पौधों को उखाड़कर फेंक देना चाहिए। बीज के पकने के बाद पौधों को काटकर खेत में सुखा देना चाहिए तथा एक सप्ताह बाद सूखे हुए पौधों से बीजों को निकालकर, साफ करके धूप में अच्छी तरह सुखाकर (बीज में 10 प्रतिषत नमी होनी चाहिए।) किसी काच की बोतल अथवा डिब्बे में एक सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए।

FAQ –

प्रश्न – पालक के पौधे की देखभाल किस प्रकार करें ?

उत्तर – पालक में अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद डालें। जैविक खाद अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद खेत की खाद या वर्मीकम्पोस्ट हो सकती है।

प्रश्न – पालक को कितनी बार पानी देना चाहिए ?

उत्तर – प्रति सप्ताह लगभग एक इंच पानी पालक के लिए सर्वोत्तम है। लेकिन गर्म मौसम में संख्या को आधा इंच बढ़ा दें।

प्रश्न -गर्मियों में पालक की खेती कैसे की जाती है ?

उत्तर -बीज की मात्रा 30 किलोग्राम पालक के प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है पालक की बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर ओर बीज से बीज की दूरी 7 से 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए। पालक की बुवाई के बाद हल्की सिचाईं करनी चाहिए

प्रश्न -पालक की खेती कौन से महीने में करे? 

उत्तर -पालक की बुवाई वर्ष भर की जा सकती है। पालक की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुवाई जनवरी फरवरी जून जुलाई और सितम्बर अक्टूबर में की जा सकती हैजिससे पालक की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है।

प्रश्न – पालक के पीले पत्ते क्यों होते हैं ?

उत्तर -पत्तों का हरा रंग Chlorophyll पिग्मेंट के कारण होता है और जब पौधे के भीतरी या बाहरी कारणों से Chlorophyll का बैलेंस बिगड़ता है तो पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं जिसे Chlorosis कहा जाता है । गमले या Containers में लगे पौधों मे पीलापन की समस्या की संभावना ज्यादा रहती है ।

प्रश्न – पालक में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें ?

उत्तर -पालक में खरपतवार की रोकथाम के लिए को दो से तीन गुड़ाई की जरूरत होती है।