ईंधन की खपत कम करें| बायोगैस का उपयोग करें| Biogas plant uses and benefits in Hindi

Biogas plant uses and benefits

Biogas plant uses and benefits

बायोगैस फायदे- (Biogas plant uses and benefits in Hindi)

गोबर जिसे हम या कण्डे के रूप में जला रहे है उसका सही उपयोग बायोगैस संयंत्र से गैस लेने के बाद होगा। जो गोबर घोल बचेगा वह हमारे खेतों को बढ़िया खाद देगा, नया जीवन देगा खेतों का नया जीवन हमारे खलियानों को भरेगा। भरे खलिया हमारे घरों को खुशियों से भर देंगे। गोबर व पानी को समान मात्रा में मिलाकर जब बायोगैस संयंत्र में हवा की अनुपस्थिति में किण्विंत किया जाता है तो ईंधन के रूप में बायोगैस गोबर गैस एवं उपशिष्ट के रूप में  किण्विंत स्लरी प्राप्त होती है। किण्विंत स्लरी को बायोखाद या बायोगैस स्लरी या पाचित स्लरी के नामों से भी जाना जाता है। समुचित उपयोग के लिये इसका इस्तेमाल बायोगैस संयंत्र में किया जाता है।

उपयोग और फायदे –

इसका उपयोग ईंधन के रूप में करने से घर को साफ सुधरा और सुंदर रहता है। महिलाओं को जंगल से लकड़ी बीनने हेतु भटकना नहीं पड़ता है। पुरूष कुल्हाड़ी से पेड़ों की हत्या करने से बच जाते हैं महिलाओं को सुबह से शाम तक चौके में नहीं रहना पड़ता है। बायोगैस पर अच्छा स्वादिष्ट भोजन बनता है तथा बर्तन काले नहीं होते हैं बायोगैस से धुआँ नहीं निकलता हैए जिससे खाना पकाने वाली महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। जलाऊ लकड़ी की खपत कम करने से हम अपने आस.पास के जंगलों को कटने से बचायेंगे। जंगल रहेंगे तो हमारा पर्यावरण सुधरेगा। खाना पकाने के लिये प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 0ण्24 घन मीटर बायोगैस की आवश्यकता होती है। इस प्रकार एक दो घन मीटर बायोगैस संयंत्र से परिवार के 5.8 सदस्यों का खाना आसानी से पकाया जा सकता है।

गोबर की खाद (बायोखाद) –

बायोगैस संयंत्र कम से कम 6 घनमीटर लगाकर उत्पंन गैस के उपयोग से डीजल व पेट्रोल ईंधन चलाकर कई प्रकार के कृषि कार्य किये जा सकते हैं जैसे कुएं से पानी खीचना, चारा काटन, एवं थ्रेसर चलाना आदि। बायोगैस से डीजल वे पेट्रोल ईंधन चलाने पर 70.80 प्रतिशत डीजल की व शतप्रतिशत पेट्रोज की बचत होती हैं। डीजल व पेट्रोल ईंधन चलाने के लिये 0.5 घनमीटर बायोगैस प्रति अश्व शक्ति प्रति घंटा की आवश्यकता होती है।

बायोगैस का उपयोग रोशनी के लिये-

बायोगैस को सीधे ही मेंथल लैम्प में जलाकर रोशनी प्राप्त की जा सकती है। यह लैम्प केरोसीन से चलने वाले पम्प के समान ही रोशनी देता है। इसमे 0-13 घनमीटर गैस प्रति घंटा खर्च होती है जिसके 100 केण्डल शक्ति या 40 वाट के बराबर रोशनी प्राप्त होती है। 2 घनमीटर क्षमता के एक संयंत्र से खाना पकाने के अतिरिक्त 2.3 घंटे रोशनी भी प्राप्त की जा सकती है।

पेट्रोल और डीजल में उपयोग –

बायोगैस संयंत्र कम से कम 6 घनमीटर लगाकर उत्पंन गैस के उपयोग से डीजल व पेट्रोल ईंधन चलाकर कई प्रकार के कृषि कार्य किये जा सकते हैं जैसे कुएं से पानी खीचन, चारा काटना, एवं थ्रेसर चलाना आदि। बायोगैस से डीजल वे पेट्रोल ईंधन चलाने पर 70.80 प्रतिशत डीजल की व शतप्रतिशत पेट्रोज की बचत होती हैं। डीजल व पेट्रोल ईंधन चलाने के लिये 0-5 घनमीटर बायोगैस प्रति अश्व शक्ति प्रति घंटा की आवश्यकता होती है।

गोबर गैस खाद को कैसे बनाये-

  1. बायोगैस संयंत्र में सड़ाकर खाद बनने में लगने वाला दिन कम से कम 40-55 दिन लगता है तथा खाद में संरक्षित पोषक तत्वों की मात्रा 90-93 प्रतिशत तक होती है। इससे हमें 75-80 प्रतिशत तक खाद उपलब्ध हो जाता है।
    इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि गोबर का उपयोग बायोगैस संयंत्र में करने से खाद बनने में समय तो कम लगता ही है साथ ही खाद की मात्रा भी अधिक मिलती है बायोखाद में अन्य विधियों से बनायी गयी गोबर की खाद की तुलना में इस खाद में पोषक तत्व अधिक मात्रा में संरक्षित रहते है।
  2. बन्द वातावरण में सड़ाकर 75-90 दिन खाद बनने में लगते है तथा इसमें खाद में ंसंरक्षित पोषक तत्वों की मात्रा 75-80 प्रतिशत होती है। इसमें उपलब्ध खाद की मात्रा 55-60 होती है।
  3. खुले वातावरण में सड़ाकर 120.150 दिन खाद बनने में लगते है तथा इसमें खाद में ंसंरक्षित पोषक तत्वों की मात्रा 50.55 प्रतिशत होती है। इसमें उपलब्ध खाद की मात्रा 35.40 होती है।
  4. खाद बनाने में लगने वाल दिन कम से कम 120-150 दिन में तैयार हो जाता है तथा इसमे पोषक तत्वों की मात्रा 50-55 प्रतिशत तक होती है। जिससे हमें उपलब्ध खाद की मात्रा 35-40 प्रतिशत प्राप्त हो जाती है।