जैविक खेती क्या है – (what is organic farming in Hindi) जैविक खेती राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय जैविक उत्पादन मानकों के अनुसार ही की जाती है जैविक खेती हमारी फसलों से ही प्राप्त अवशेषों से की जाती है। जैविक खेती में कृत्रिम उर्वरकों रासायनिक मिश्रणों जैसे- यूरिया डी0ए0पी0 कीट-रोग खरपतवार नाशक एवं वृद्धि नियंत्रणों का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाता है। जैविक खेती मुख्यतः फसल अवशेष पशु खाद फसल चक्र हरी खाद एवं जैविक कीट निन्यत्रण पर निर्भर करती है।
जैविक खेती क्यों – भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादकता में सुधार तथा स्थिरता ला सकते है। आप फसल उत्पादन की लागत को कम कर सकते है। आप कीटों एवं बीमारियों द्वारा रासायनिक कीटनाशकों के प्रति विकसित अवरोधकता को समाप्त कर सकते है। आप भूमि में उपलब्ध लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में निरन्तर वृद्धि ला सकते है। आप स्वस्थ खाद्य उत्पादन एवं पर्यावरण में सुधार कर सकते है।
जैविक खेती के फायदें – (Benefits of organic farming in Hindi) जैविक खेती को पूरी तरह क्रमवद्ध तरीके से अपनाया जाय तो देश भर में मनुष्य एवं पशुओं में होने वाली बीमारियों जल भूमि एवं वायु प्रदूषण की समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है। जैविक खेती अपनाने से प्रारम्भ में फसलोंत्पादन में 25-30 प्रतिशत कमी आती है तथा दूसरे वर्ष से उत्पादन धीरे-धीरे बढता है जो तीसरे व चैथे वर्ष में परम्परागत खेती के बराबर अथवा अधिक पहुंच जाता है। जैविक खेती अपनाने से एक वर्ष बाद जमीन व पशुओं की उत्पादन क्षमता में लगातार बढ़ोत्तरी होने लगती है। भूमि में नमी बरकरार रहती है और फसल सूखे की स्थिति में तथा कीट एवं रोगों के आक्रमण से पौधों में लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है रासायनिक उर्वरकों, कीट एवं खरपतवार नाशकों का भूमि में लगातार प्रयोग, भूमि को मृत दवा की ओर ले जाता है। जैविक खेती एक ऐसी प्रणाली है जो भूमि में प्राकृतिक रूप से असंख्य सूक्ष्म लाभदायक जीवाणुओं को सुरक्षा प्रदान करती है। यह जीवाणुं एक दूसरे के पूरक तो होते ही है साथ में फसलों को बढ़वार हेतु पोषक तत्व भी उपलब्ध करवाते हैं। पौधों के समुचित विकास एवं फसलोंत्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले संस्तुत किस्मों के बीज, खाद एवं उपजाऊ मिट्टी का होना नितान्त आवश्यक है। भूमि को लगातार जींवाश खाद (गोबर की खाद, कम्पोस्ट, केंचुआ खाद, हरी खाद, जीवाणुं कल्चर आदि बायोपेस्टीसाइड केंचुआ घोल, बायोएजेण्ट के द्वारा पोषक तत्वों की पूर्ति की जाती है। यह तभी सम्भव हो पायेगा, जब किसान के पास पर्याप्त मात्रा में पशुधन और उनके गोबर व मूत्र से विधिवत् तैयार किया हुआ बीजामृत, जीवामृत, अमृत पानी, तरल कीट एवं रोग नाशी, खट्ठी छाछ, गौ-मूत्र का बुवाई से लेकर फसल पकने की अवस्था तक उपयोग करने में कमी न आने दें। बुर्जुग किसान व उसकी नयी पीढी जैविक खेती से होने वाले फायदों को भलीभाँति समझती है। लेकिन यह नयी पीढ़ी पशु गोबर, गौ-मूत्र को हाथ लगाने में शर्मिदगी व दुर्गध से दूर भागती है। जब तक वह पशुधन एवं खेती से प्राप्त अवशेषों का भलीभाँति सद्उपयोग करना नहीं सीखेगा तब तक वह जैविक खेती करने में निपुण नहीं हो सकेगा। महाराष्ट्र एवं आध्र प्रदेश के किसान रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान एवं जैविक खाद तथा जैविक संसाधनों से होने वाले फायदों को अच्छी तरह से समझने लगे हैं। वहां के किसान जैविक खेती की ओर निरंतर अग्रसर हो रहे है और उनकी जैविक खेती फल-फूल रही है।
जैविक खेती को व्यवहारिक रूप देने के लिए प्रगतिशील किसान व वैज्ञानिक नये– नये तरीके अपना रहे हैं। जब कोई नया कार्य बड़ा शोध संस्थान अथवा प्रतिष्ठित संस्था अथवा क्षेत्र का जाना माना किसान करता है तो उस कार्य पर अधिकतर किसानों का विश्वास और प्रबल हो जाता है। जैविक खेती करने के नित नये- -नये फायदे उभरकर सामने आ रहे हैं। जिससे यह साबित होता है कि जैविक खेती न कि आने वाले समय में बल्कि वर्तमान समय में भी फायदेमंद है।
जैविक खेती से लाभ – (Benefits of organic farming)
- आप जैविक खेती अपनाने के मिट्टी को काफी उपजाऊ बना सकते है।
- आप मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि कराकर, खनिज पदार्थों को घुलनशील अवस्था में पौधों को ला सकते है।
- किसान अपने खेत पर संसाधन जुटाकर, फसल उत्पादन की लागत कम कर सकता है।
- जैविक उत्पाद की गुणवत्ता, स्वाद, एवं भण्डारण अवधि में सुधार ला सकते है।
- देश-विदेश में जैविक उत्पाद की निरन्तर बढ़ती मांग से किसान को उपज का उचित मूल्य मिल सकता है।
जैविक खेती के मुख्य संसाधन –
- कम्पोस्ट खाद, नाडेप कम्पोस्ट एवं सी0पी0पी0 कम्पोस्ट वर्मी कम्पोस्ट एवं वर्मी धोवन (वर्मीवाश)
- बीजामृत, जीवामृत एवं तरल खाद-कीटनाशी
- जैव मिश्रण, जैव उर्वरक एवं जैव कीटनाशी
- हरी खाद
- फसल चक्र
जैविक खेती में किसान क्या करें
- खेतकी मेंड बन्दी अच्छी तरह से करें एवं मुख्य फसल के चारों ओर अन्य फसल
- जैसे पशुओं का चारा, अरहर, ढै़चा, आदि अवश्य उगायें।
- हमेशाजैविक बीज ही उपयोग में लाये एवं बीजामृत से उपचारित कर बुआई करें।
- अपनेखेत से प्राप्त सभी अवशेषों का सद्उयोग कर, जैविक खेती को लाभदायक
- बनायेजैविक खेती में उपयोग करने से पूर्व सभी यन्त्रों की भलीभाँति सफाई एवं
- धुलाई करें।
- जैविकउत्पादकों का भण्डारण, परिवहन एवं विपणन सावधानी पूर्वक अलग से करें
क्षेत्र कृषक एवं फसल का चयन- आप राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन एवं जैविक उत्पादन राष्ट्रीय मानक की मार्गदर्शिका के अनुसार जो कृषक जैविक खेती अंगीकरण एवं प्रमाणीकरण करने के इच्छुक हैं जिनके पास पर्याप्त मात्रा में पशुधन , सुनिश्चित सिंचाई के साधन , वर्ष में एक से अधिक फसल पैदा करने की क्षमता रखते हैं। उनको जैविक खेती अंगीकरण हेतु चयनित करने के पश्चात् परियोजना में पंजीकृत किया जाता है। परियोजना में अधिक से अधिक कृषकों को अवसर देने के लिए 0.4-5.4 हेक्टेयर जोत वाले कृषकों के चयन को प्राथमिकता दी जाती है। औद्यानिक क्षेत्रों एवं फसलों में फल एवं सब्जियों का चयन सम्बन्धित जनपद के जिला उद्यान अधिकारियों से परामर्श करने के उपरांत किया जाता है।
उत्पादन अनुमान- फसल कटाई से पूर्व प्रत्येक सदस्य के प्रत्येक फार्म तथा प्रत्येक फसल के उत्पादन का अनुमान लगाकर उसका फार्म डायरी में प्रलेखन किया जाना चाहिये और कटाई के बाद वास्तविक उत्पादन के साथ मिलान किया जाना चाहिये। बिक्री की गई मात्रा का भी अनुमानित उत्पादन के साथ मिलान जरूरी प्रक्रिया है।
जैविक उत्पादन की गुणवत्ता-
- कीट एवं रोग रहित उत्पाद मिल सकता है।
- स्वस्थ हिसाब से खाद्य उत्पादन अच्छा रहता है।
- आप पोष्टिक एवं स्वादिष्ट खाद्य उत्पाद ले सकते है।
- आप अधिक समय तक भण्डारण क्षमता वाला उत्पाद ले सकते है।
जैविक प्रमाणीकरण परिचय- जैविक प्रमाणीकरण दिया जायेगा जो एक प्रक्रिया आधारित प्रणाली है जिसमें किसी भी तरह के कृषि उत्पादनए प्रसंस्करणए पैकेजिंग परिवहन तथा वितरण प्रणाली का प्रमाणीकरण किया जा सकता है इसके निर्धारण हेतु अलग.अलग देशों के अपने मानक हैं और अलग प्रमाणीकरण प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत उत्पादनए भंडारण प्रसंस्करण पैकेजिंग तथा परिवहन का प्रमाणीकरण किया जाता है।
आंतरिक निरीक्षण – आप के खेत का आंतरिक निरीक्षण समूह के प्रत्येक सदस्य तथा फार्म का एक वर्ष में कम से कम दो बार आंतरिक निरीक्षण किया जायेगा तथा निरीक्षण प्रतिवेदन को प्रलेखित किया जायेगा । निरीक्षणए समूह के सदस्य या उसके प्रतिनिधि की उपस्थिति में होना चाहिये तथा वर्ष में कम से कम एक बार पूरे फार्म भंडार सुविधाओंए उपकरणों पशुओं इत्यादि सबका निरीक्षण किया जाना चाहिये। अनुपालना न होने अथवा मानकों के उल्लंघन की अवस्था में आंतरिक गुणवत्ता प्रबंधक को जानकारी देनी चाहिये और एैसे सदस्य व फार्म को समूह से अलग करना चाहिये।
बाह्य निरीक्षण – प्रमाणीकरण संस्था निरीक्षण के समय कुछ सदस्यों के खेतों का फिर से निरीक्षण कर मानकों की अनुपालना सुनिश्चित करेंगे।
जैविक खेती का प्रमाणीकरण एवं आवश्यकता –
- राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के तहत मान्यता प्राप्त संस्था ‘‘राष्ट्रीय जैविक उत्पादन मानक’’ के अनुसार की गयी खेती का ‘‘जैविक उत्पादन’’ प्रमाण-पत्र प्रदान करना मुख्य आवश्यकता।
- आप के अप्रमाणित जैविक उत्पाद को बाजार में कोई मान्यता नहीं।
- आप प्रमाणीकरण के उपरान्त उत्पाद का देश-विदेश में विपणन कर उचित मूल्य प्राप्त कर सकते है।
- प्रमाणीकरण से जैविक उत्पादन की गुणवत्ता बनाये रखने में मदद मिलती है।
- जैविक खेती के फायदें | Benefits of organic farming in Hindi
- https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95_%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%80