जैविक खेती क्या ? किसान इस खेती में क्या करें और क्या न करे| What is organic farming? Farmers do’s and don’ts in this farming in Hindi

जैविक खेती क्या है ?

  1. जैविक खेती राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय जैविक उत्पादन मानकों के अनुसार ही की जाती है।
    जैविक खेती हमारी फसलों से ही प्राप्त अवशेषों से की जाती है।
    जैविक खेती में कृत्रिम उर्वरकों, रासायनिक मिश्रणों यूरिया, डी0ए0पी0, कीट-रोग, खरपतवार नाशक एवं वृद्धि नियंत्रणों का उपयोग बिल्कुल नहीं करते है।

जैविक खेती क्यों ?

  1. भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादकता में सुधार एवं स्थिरता लाना।
    फसल उत्पादन की लागत में कमी लाना।
    कीटों एवं बीमारियों द्वारा रासायनिक कीटनाशकों के प्रति विकसित अवरोधकता को समाप्त करना।
    भूमि में उपलब्ध लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि लाना

जैविक खेती का महत्व –

पृथ्वी, मानव व पर्यावरण के बीच मधुर, परस्पर लाभदायी तथा दीर्घायु संबंधों की अवधारणा को आधार बनाकर आज की जैविक खेती की परिकल्पना की गई समय के बदलते रूवरूप के साथ जैविक खेती अपने प्रारंभिक काल के मुकाबले अब और अधिक जटिल हो गई है और अनेक नये आयाम अब इसके अंग है। जैविक खेती का नीति निर्धारण प्रक्रिया में प्रवेश तथा अर्न्तराष्ट्रीय बाजार में उत्कृष्ट उत्पाद के रूप में पहचान इसकी बढ़ती महत्ता का प्रतीक है। विगत दो दशकों में विश्व समुदाय में खाद्य गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ-साथ पर्यावरण को स्वस्थ रखने हेतु भी जागरूकता बढ़ी है। अनेक किसानों व संस्थाओं ने इस विधा को भी समान रूप से उत्पादन क्षम पाया है। जैविक खेती प्रणेताओं का तो पूरा विश्वास है कि इस विधा से न केवल स्वस्थ वातावरण, उपयुक्त उत्पादकता तथा प्रदूषणमुक्त खाद्य प्राप्त होगा बल्कि इसके द्वारा संपूर्ण ग्रामीण विकास की एक नई, स्वपोषित, स्वावलंबी प्रक्रिया शुरू होगी। शुरूआती हिचकिचाहट के बाद जैविक खेती अब विकास की मुख्य धारा से जुड़ रही है और भविष्य में आर्थिक, सामाजिक तथा पर्यावरणीय सुरक्षा के नये आयाम सुनिश्चित कर रही है। हालॉकि प्रारंभिक काल से अब तक जैविक खेती के अनेक रूप प्रचलित हुए है परन्तु आधुनिक जैविक खेती अपने मूल रूप से बिल्कुल अलग है। स्वस्थ मानव, स्वस्थ मृदा तथा स्वस्थ खाद्य के साथ स्वस्थ व टिकाऊ वातावरण के प्रति संवेदनशीलता आज इसके प्रमुख बिन्दु है।

What is organic farming
What is organic farming

जैविक खेती अवधारणा –

  • स्वस्थ खाद्य उत्पादन एवं पर्यावरण में सुधार करना।

जैविक खेती से लाभ –

  1. जैविक खेती लम्बे समय तक जैविक स्तर को बनाये रखती है, जिससे मृदा काफी उपजाऊ बनी रहती है।
    मृदा में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि कराकर, खनिज पदार्थों को घुलनशील अवस्था में पौधों को उपलब्ध कराते है।
    किसान अपने खेत पर संसाधन जुटाकर, फसल उत्पादन की लागत कम करना।
    जैविक उत्पादन की गुणवत्ता, स्वाद, एवं भण्डारण अवधि में सुधार आता है।
    देश-विदेश में जैविक उत्पाद की बढ़ती मांग से किसान को उपज का उचित मूल्य मिलना।

जैविक खेती के मुख्य संसाधन –

  1. कम्पोस्ट खाद, नाडेप एवं सी0पी0पी0 कम्पोस्ट
    वर्मी कम्पोस्ट एवं वर्मी धोवन (वर्मीवाश)
    बीजामृत, जीवामृत एवं तरल खाद-कीटनाशी
    जैव मिश्रण, जैव उर्वरक एवं जैव कीटनाशी
    हरी खाद एवं फसल चक्र को अपना

जैविक खेती का प्रमाणीकरण एवं आवश्यकता –

राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के तहत मान्यता प्राप्त संस्था ‘‘राष्ट्रीय जैविक उत्पादन मानक’’ के अनुसार की गयी खेती का ‘‘जैविक उत्पादन’’ प्रमाण-पत्र प्रदान करना मुख्य आवश्यकता।
अप्रमाणित जैविक उत्पाद को बाजार में कोई मान्यता नहीं।
प्रमाणीकरण के उपरान्त उत्पाद का देश-विदेश में विपणन कर उचित मूल्य प्राप्त कर सकते है।
प्रमाणीकरण से जैविक उत्पादन की गुणवत्ता बनाये रखने में मदद मिलती है।

जैविक उत्पादन की गुणवत्ता –

कीट एवं रोग रहित उत्पाद, स्वस्थ खाद्य उत्पादन पोष्टिक एवं स्वादिष्ट खाद्य उत्पाद अधिक समय तक भण्डारण क्षमता वाला उत्पाद विश्व को जैविक खेती भारत देश की देन है। जब भी जैविक खेती का इतिहास टटोला जायेगा भारत व चीन इसके मूल में होंगे। इन दोनों देशों की कृषि परम्परा 4000 वर्ष पुरानी है तथा यहां के किसान चार सहस्त्राब्दि के कृषि ज्ञान से परिपूर्ण किसान है और जैविक खेती ही उन्हे इतने वर्षो तक पालती पोसती रही है। जैविक खेती प्रमुखतया निम्न सिध्दांतों पर आधारित है।

क्षेत्र, कृषक एवं फसल का चयन –

राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन एवं जैविक उत्पादन राष्ट्रीय मानक की मार्गदर्शिका के अनुसार जो कृषक जैविक खेती अंगीकरण एवं प्रमाणीकरण करने के इच्छुक हैं, जिनके पास पर्याप्त मात्रा में पशुधन, सुनिश्चित सिंचाई के साधन, वर्ष में एक से अधिक फसल पैदा करने की क्षमता रखते हैं। उनको जैविक खेती अंगीकरण हेतु चयनित करने के पश्चात् परियोजना में पंजीकृत किया जाता है। परियोजना में अधिक से अधिक कृषकों को अवसर देने के लिए 0.5-4 हेक्टेयर जोत वाले कृषकों के चयन को प्राथमिकता दी जाती है। औद्यानिक क्षेत्रों एवं फसलों में फल एवं सब्जियों का चयन सम्बन्धित जनपद के जिला उद्यान अधिकारियों से परामर्श करने के उपरांत किया जाता है।

जैविक प्रमाणीकरण परिचय-

जैविक प्रमाणीकरण एक प्रक्रिया आधारित प्रणाली है जिसमें किसी भी तरह के कृषि उत्पादन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, परिवहन तथा वितरण प्रणाली का प्रमाणीकरण किया जा सकता है इसके निर्धारण हेतु अलग-अलग देशों के अपने मानक हैं और अलग-2 प्रमाणीकरण प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण, पैकेजिंग तथा परिवहन का प्रमाणीकरण किया जाता है।

आंतरिक निरीक्षण निरीक्षण –

आंतरिक निरीक्षण समूह के प्रत्येक सदस्य तथा फार्म का एक वर्ष में कम से कम दो बार आंतरिक निरीक्षण किया जायेगा तथा निरीक्षण प्रतिवेदन को प्रलेखित किया जायेगा, निरीक्षण, समूह के सदस्य या उसके प्रतिनिधि की उपस्थिति में होना चाहिये तथा वर्ष में कम से कम एक बार पूरे फार्म, भंडार सुविधाओं, उपकरणों, पशुओं इत्यादि सबका निरीक्षण किया जाना चाहिये।

समूह में जैविक खेती करने के लाभ –

भूमि का ह्यस होने से बचाना। कम लागत में जैविक प्रमाणीकरण। जैविक उत्पाद के विपणन में सुविधा। उत्पादन की गुणवत्ता बनाये रखें। उत्पादन में होने वाली जोखिम में कमी। तकनीकी आदान-प्रदान में सुविधा।

जैविक खेती में किसान क्या करें –

  1. खेत की मेंड बन्दी अच्छी तरह से करें एवं मुख्य फसल के चारों ओर अन्य फसल जैसे पशुओं का चारा, अरहर, ढै़चा, आदि अवश्य उगायें।
    हमेशा जैविक बीज ही उपयोग में लाये एवं बीजामृत से उपचारित कर बुआई करें।
    अपने खेत से प्राप्त सभी अवशेषों का सद्उयोग कर, जैविक खेती को लाभदायक बनाये।
    जैविक खेती में उपयोग करने से पूर्व सभी यन्त्रों की भलीभाँति सफाई एवं धुलाई करें।
    जैविक उत्पादकों का भण्डारण, परिवहन एवं विपणन सावधानी पूर्वक अलग से करें।

जैविक खेती में किसान क्या न करें –

  1. खेत में पुआल, खास-फूँस, पत्तियाँ न जलायें।
    वर्जित रासायनिक एवं अर्द्धरासायनिक संसाधन उपयोग में नहीं लायें।
    जैविक तथा अजैविक उत्पाद का प्रस्तुतीकरण, पेकेजिंग, भण्डारण एवं परिवहन एक साथ न करें।
    रासायनिक संसाधनों में काम लाये बोरे, कट्टे, डिब्बे, भण्डार गृह में जैविक उत्पाद को न रखें।

जैविक कृषि के राष्ट्रीय मानक –

जैविक कृषि के राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत व्यापार मंत्रालय ने जैविक कृषि के राष्ट्रीय मानक निर्धारित किये हैं। ये मानक मुख्यतया 6 भागों में बाँटे है।
1. बदलाव (Conversion) 2. फसल उत्पादन (Crop Production) 3. पशु पालन (Animal husbandry) 4. खाद्य प्रसंस्करण एवं संचालन (Food processing & handling) 5. नामांकन या लेबल लगाना (Labelling) 6. भंडारण एवं परिवहन(Storage & Transport)

बाह्य निरीक्षण –

प्रमाणीकरण संस्था निरीक्षण के समय कुछ सदस्यों के खेतों का फिर से निरीक्षण कर मानकों की अनुपालना सुनिश्चित करेंगे। निरीक्षण योजना का प्रारूप निरीक्षक की जोखिम संबंधी संकल्पना पर आधारित होगा।

उत्पादन अनुमान  –

फसल कटाई से पूर्व प्रत्येक सदस्य के प्रत्येक फार्म तथा प्रत्येक फसल के उत्पादन का अनुमान लगाकर उसका फार्म डायरी में प्रलेखन किया जाना चाहिये और कटाई के बाद वास्तविक उत्पादन के साथ मिलान किया जाना चाहिये। बिक्री की गई मात्रा का भी अनुमानित उत्पादन के साथ मिलान जरूरी प्रक्रिया है।

 hi.wikipedia.org/wiki/जैविक_खेती

जैविक खेती क्या ? किसान इस खेती में क्या करें और क्या न करे| What is organic farming? Farmers do’s and don’ts in this farming in Hindi