सागवान की खेती अच्छा आमदनी दे सकता है ? जाने कैसे |

परिचय

सागवान पौधा लगाते समय और पहले 2 साल पानी और खाद सही मात्रा मे देना आवश्यक है। सागवान के लिए नमी और उष्णकटिबंधीय दृढ़ लकड़ी प्रजाति है यह ज्यादा तापमान को आसानी को सहन कर लेता है। लेकिन सागौन की बेहतर विकास के लिए उच्चतम 39.44 डिग्री सेंटीग्रेट और निम्नतम 13 से 17 डिग्री सेंटीग्रेड उपयुक्त है। सागवान उष्ण कटिबंधीय दृढ़ लकड़ी प्रजाति है जो कि लैमिएसी परिवार से संबंधित है। यह भारत सबसे मूल्यवान और ऊंची कीमत वाली टिम्बर की फसल है। यह सबसे महत्तवपूर्ण दृढ़ लकड़ी है और इसका प्रयोग फर्नीचरए प्लाइवुड कंस्ट्रक्शन के लिए प्रयोग किये तथा जहाज निर्माण आदि के लिये भी किया जाता है। उन्नतशील सागवान के पौधे हिमालय को छोड के भारत के किसी भी कोने में बढ़ने की क्षमता है। पानी का अच्छा निकासी होने वाली काली लाल पिली सफेद थोड़ी पथरीली ऐसे किसी भी तरह की मिट्टी में सागवान अच्छे तरह से विकसित हो जाता है।

सागवान की खेती में 4 साल मे इंटरक्रॉपिंग करके मुनाफा ले सकेत है-

सागवान की खेती में पहले 4 साल हम इंटरक्रॉपिंग करके मुनाफा ले सकते है। जैसे. लौकी, करेला, ककड़ी, हल्दी, अदरक, बैगन, भिन्डी जैसे फसले सागवान की खेती में अच्छा उत्पादन देती है। 4 साल इंटरक्रॉपिंग करके रोज के खर्चे के लिए पैसे की आवश्यकता की पूर्ति आसानी से कर सकते है।

सागवान की खेती –sagwan ki kheti kaise kare

 

sagwan ki kheti
sagwan ki kheti

सिंचाई की आवश्यकता –

सागवान पौधे रोपाई के बाद पहले 6 महीने हर हप्ते पानी देना आवश्यक होता है। 6 महीने बाद 15 दिन के अंतराल से और बाद में जरुरत होने पर महीने के अंतराल से आवश्यक मात्र में पानी देना आवश्यक होता है। अगर आप टपक सिचाई बिधि का उपयोग करते है तो पानी की 80 प्रतिशत बचत कर पाएंगे। 2 साल के बाद पानी की विशेष आवश्यकता होने पर पानी देना जरुरी होता तथा पानी का अंतराल अधिक होने पर नुकसान होने की संभावना नहीं रहती है।

मृदा की आवश्यकता –

छिछली, बलुवाई तथा मिट्टी होनी चाहिए तथा इसके लिए मिट्टी का पी एच 6.5 या इससे ज्यादा होना चाहिए। मिट्टी की पी एच 6.5 से कम होने पर फसल के विकास पर असर पड़ता है। मिट्टी में अम्लता की मात्रा ही खेती के क्षेत्र और विकास को निर्धारित करती है।

किस्में –

नीलांबर मालाबार, सागौन, दक्षिणी और मध्य अमेरिकन सागौन पश्चिमी अफ्रीकन सागौन अदिलाबाद,गोदावरी, कोन्नी आदि।

मिट्टी की तैयारी-

मिट्टी के भुरभुरा बनाने के लिए खेत की 2.3 बार जोताई करें। मिट्टी को समतल करें ताकि खेत में पानी खड़ा ना हो सके। नए पौधों की रोपाई के लिए 45 गुणा 45 गुणा 45 सेण्मी के फासले पर गड्ढे खोदे। प्रत्येक गड्ढे में गली हुई खाद के साथ कीटनाशी डालें।

बीज की बुवाई –

बीजों को नर्सरी बैड में बोया जाता है। रोपाई के लिए 12.15 महीने के नए पौधों का प्रयोग करें। टिशू प्रजनन ग्राफ्टिंग जड़ तने काट कर और छोटे प्रजनन द्वारा किया जाता है। रोपाई के लिए पूर्व अंकुरन पौधों का प्रयोग किया जाता है। मॉनसून का मौसम सागवान की रोपाई के लिए सबसे अच्छा मौसम होता है।
फासला. रोपाई के लिए 2 x 2 या 2x 5 x 2x 5 या 3x 3 मीटर के फासले रखा जाता है। जब अंतर.फसली अपनाई हो तो 4 x 4 मीटर या 5 x 5 मीटर फासला रखें।

बीज की मात्रा-

एक एकड़ में रोपाई के लिए लगभग 1500.1800 का प्रयोग करें।

बीजोउपचार –

सागवान वृक्ष के फल का छिल्का मोटा और सख्त होता है इसलिए नर्सरी में बिजाई से पहले सागवान के बीजों की अंकुरन प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बीजों का पूर्व उपचार किया जाता है बीजों को 12 घंटे के लिए पानी में भिगोया जाता है और फिर 12 घंटे के लिए धूप में सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया 10-14 दिनों तक बार बार दोहराई जाती है। खाद  हर साल अगस्त और सितंबर महीने में 50 ग्राम प्रति पौधे में पहले तीन वर्ष डालें।

सिंचाई गर्म या गर्मियों के महीने में और आवश्यकता अनुसार करें। आवश्यकता अनुसार सिंचाई करने के साथ काफी हद तक पैदावार में सुधार आता है। अतिरिक्त सिंचाई से पानी के धब्बे और फंगस ज्यादा हो जाती है।

पौधे की देखभाल कैसे करे –

फसल की कटाई-

सागवान की खेती सबसे ज्यादा लाभदायक होती है 14 वर्ष का सागवान का वृक्ष 10-15 घन फीट की लकड़ी प्रदान करता है। इस लिये भारत और विश्वभर में ज्यादा डिमांड है।
पत्तों की भुंडी और काली सुंडी हानिकारक कीट और रोकथाम हेतु पत्तों की भुंडी और काली सुंडी सागवान के वृक्ष के गंभीर कीट है जो कि भारी मात्रा में वृक्ष को नुकसान पहुंचाते हैं। इस कीट की रोकथाम के लिए क्विनलफॉस 300 मिली को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%A8

सागवान की खेती अच्छा आमदनी दे सकता है ? जाने कैसे |