अच्छी आमदनी हरी सब्जियों से ले सकते है किसान कैसे ? जाने (Good income for farmers Green Vegetable)

हम लोगो के खाने में सब्जियों का बड़ा ही योगदान है। प्रतिदिन भोजन में कम से कम 300 ग्राम सब्जियों का होना आवश्यक है। लेकिन हमारे यहां प्रति व्यक्ति सब्जियों की उपलब्धता 165 ग्राम से ज्यादा नहीं है। सब्जियों में विटामिन खनिज लवण व अमीनो अम्ल प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। जो शरीर को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं।

मिट्टी जाँच करना जरूरी –

हम सभी खेतों की मिट्टी एक जैसी नहीं होती हैं। सभी खेतों में उत्पादन समान न होकर कम.ज्यादा होता रहता हैं। विभिन्न फसलों मे संस्तुति के आधार पर नत्रजन, फास्फोरसए पोटाश तत्वों की मात्रा प्रत्येक खेत पर खरी नही उतरती है। किसान यह नहीं जानता है कि उसके खेतों की मिट्टी में कौन.कौन से पोषक तत्वों की कितनी मात्रा उपलब्ध है। मिट्टी में उपलब्ध जैविक पदार्थ की मात्रा एवं मिट्टी का पी एच किस स्तर पर हैं। यह सब जानने के लिए किसान को अपने खेतों की मिट्टी की जांच आगामी फसल बोने से पहले अवश्य करानी चाहिएए ताकि वह यह जान सके कि आगामी बोयी जाने वाले सब्जियों एवं फसल की किस्म को कितनी मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होगी और कितनी पोषक तत्वों की मात्रा मिट्टी से फसल को उपलब्ध हो सकती है।

खेत तैयार कैसे करे –

बलुई-दोमट भूमि –

सब्जियों को हल्की रेतीली से लेकर भारी चिकनी मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। लेकिन जिसमें उचित जल निकास का प्रबंध हो अच्छी मानी जाती है। गर्मी में खेत की गहरी जुताई करें जिससे खेत में मौजूद कीट व बीमारियां नष्ट हो जायें। 15-20 दिन पहले गोबर की खाद मिलाऐं व 3-4 बार जुताई कर पाटा चलायें। खेत अच्छे से तैयार करे जिससे भूमि में अच्छा उत्पादन मिल सकें।

किस्में-

किसी भी सब्जी की पैदावार उसकी किस्मों पर निर्भर करती है। इसलिए अधिक उपज देने वाली रोग व कीटों के प्रति अवरोधी तथा सिफारिश की गई किस्मों को ही चुनें। सब्जियों के अन्तर्गत बैंगन एक महत्वपूर्ण सब्जी है। इसमें विटमिन और के अलावा कैल्शियमए फाॅस्फोरस तथा लोहे के साथ साथ खनिज की मात्रा भी अधिक होती है। यदि इसकी उपयुक्त उत्तम किस्म तथा संकर किस्में बोयी जायें और उन्नत वैज्ञानिक विधि अपनायी जायें तो फसल से काफी अधिक उपज तथा आय मिल जाती है। गोभी वर्गीय सब्जियां भी उगाकर इनमें विटामिन तथा खनिज लवण भी पाये जाते है। अतः इसकी एक या दो किस्मों की अपेक्षा 5.6 विशिष्ट किस्में बोयी जा सकती है। एक विशेष समय के दौरान उगाने के लिए इसकी विशिष्ट किस्मों की आवश्यकता होती है तथा किसी भी अवधि में उगाने के लिए गलत किस्मों का चयन व्यापारिक दृष्टि से असफल हो सकता है। सभी प्रकार की गोभी फसलों की नर्सरी उपचारित बीज बोकर तैयार करें तथा समय पर खेतों में रोपाइ्र्र करें। बन्दगोभी की प्राइड आफ इण्डियाए गोल्डन या अन्य संस्तुत किस्मों की रोपाई कर अधिक पैदावार लें। मूली पालक एवं अन्य मौसमी सब्जियों की बिजाई करें।

Vegetabel Cultivation

Vegetabel Cultivation

बीज उपचार –

बुवाई से पूर्व बीज उपचार कम लागत-अधिक उत्पादन तकनीक का महत्वपूर्ण कार्य है। अतः बुवाई से पहले बीज का उपचार अवश्य करें। बीज उपचार थाईरम कार्बेडांिजम 2.2.5 ग्राम या ट्राईकोडर्मा .5.8 ग्राम प्रति किग्राण् बीज दर से करें। बुवाई व रोपाई खेत समतल होने पर खेत को चैडे पट्टों एवं नालियों में बांट लेना चाहिए तथा फसल की दूरी को ध्यान रखते हुये नालियों के ऊपर किनारों पर थोड़ा नीचे बुवाई करें। नालियों की आधी ऊंचाई तक पानी लगायें ताकि बीज तक नमी ही पहुंच पाये। यदि पौध की बुवाई पोलीथीन के लिफाफेों में 1ः1ः1 मिट्टीए रेत गोबर की खाद से भरे मिश्रण में कर दें तथा किसी पोली हाऊस में रख दे तो इससे कद्दूवर्गीय सब्जियों की नर्सरी अगेती तैयार हो जाती है।

खाद एवं उर्वरक-

खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी जाँच के आधार पर करना चाहिए। सब्जियों में गोबर की खाद, फास्फोरसए पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की 1-3 मात्रा पौध रोपाई के पूर्व खेत में मिला देनी चाहिए। शेष नाइट्रोजन 20-25 दिन बाद एवं 40-45 दिन बाद मिट्टी चढ़ाते समय देना चाहिए।
सिंचाई-सब्जियों में 8.10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए। ध्यान रखें पौधों की वृद्धि अवस्थाए फूल एवं फल बनते समय सिंचाई अवश्य करें। सिंचाई की कमी से फल टेढ़े व कम लगते है तथा फूल झड़ने लगते है।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार फसलों में रोग व कीट फैलाते है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम करते है। अतः अच्छी गुणों वाली फसल लेने के लिए खेत को खरपतवारों सेए निराई.गुड़ाई करकेए मुक्त रखें। ऐसा करने से जड़ों का विकास एवं पौधों में हवा का संचार होता है।

कटाई.छंटाई-

बेल वाली सब्जियों से अधिक उपज लेने के लिए बेलों की कटाई.छटाई बहुत ही जरूरी होती है। खरबूजे और घीया में 4-5 गांठों तक कोई भी दूसरी शाखा को नहीं पनपने देना चाहिए इनकी वृद्धि होने पर काट या तोड़ देना चाहिए।

वृद्धि नियामकों का प्रयोग-

बेल वाली सब्जियों में नर व मादा फूल अलग-अलग लगते हैं जबकि फल केवल मादा फूलों से ही बनते हैं। फलों का अनुपात वातावरण नाइट्रोजनए लंबे दिनों आदि से प्रभावित होता है। छोटे दिनों तथा कम तापमान और मौसम में अधिक नमी होने पर मादा फूल अधिक लगते हैं। वृद्धि नियामकों के प्रयोग से मादा फूलों और फलों की मात्रा बढ़ जाती है लेकिन इनका छिड़काव सुबह या शाम को ही करें। तेज धूप होने पर दवा उड़ जाती है।

रखरखाव-

सब्जियों को कच्ची अवस्था में ही तोड़कर मंडी भेजें नहीं तो सख्त होने पर भाव अच्छे नहीं मिलते। सब्जियों के नरम फल परिवहन के समय रगड़ खाकर खराब हो जाते हैं। इसलिए फलों को अखबार में लपेटकर या घासफूस लगाकर मंडी भेजें जिन सब्जियों को मंडी न भेजा जा सके तो उनको सीमित समय के लिए कोल्डस्टोर में भंडारण करके रख सकते है। सब्जियों को पहुंचाने के लिए अपना निजी वाहन जैसे टेक्टर, मोटर गाड़ी बैलगाड़ी द्वारा खुद ही संचालन कर ताजा

सब्जियों को बाजार में पहुंचाकर अतिरिक्त लाभ उठा सकते है।